Friday, April 11, 2008

चिट्ठी

चिट्ठी लिखे के मोन होइत अछि
ठीक से मोन नई अबैत अछि कि कत्तेक दिन भेल चिट्ठी लिखना -
१० साल वा ओहू स बेसी

स्कूल में परहैत रही - नवोदय विद्यालय
हॉस्टल से कहियो काल घर चिट्ठी लिखी
नब-नब सीखने रही तहु दुआरे,

कोई भेटैत छल त ओकर पता पुइछ के नोट क ली;
आ छुट्टी दिन डायरी के पिछला पन्ना के अध्ययन क के
दु- चाइर गोटा के नाम टिक करी चिट्ठी लिखबा लेल
मुदा गप्प कमोवेश एक्के-जेहन
"आदरणीय ............., सादर प्रणाम ............................................. "

आ फेर ओई पर टिकेट लगाबी, पता लिखी डायरी से देख-२
साँझ में विदा होई चिट्ठी खसबै ले - एक से दु हफ्ता लगैत छल चिट्ठी पहुँचै में
मास- दु मास पर ओकर जवाब आबे
अखनो परल अछि घर पर हमर लिखल पत्र आ आइल जवाब
आब पढ़ई छी त हँसी छुटैत अछि - १० साल पूर्व येह अनमना छल।

फेर घर में टेलीफोन एल - नब-नब
आब चिट्ठी लिखै में आस्कत लागा लागल
बूथ पर लोकक भीड़ बढ़एत गेल आ डाक-पेटी खलियैत गेल
कहियो काल आदतन चिट्ठी अवश्य लिखी मुदा ओ डायरी में पड़ले रही जे -
साल- दु साल पर कहियो कोनो कागत संगे ओ चिट्ठी डाक-पेटी में जे
आ जवाब आब फोने पर- इहो जे चिट्ठी पहुंचल की नई ?
पहिने बला उत्साह नई रहल - ख़त्म होइत गेल।

आब त मोबाइल जेबी में ल'के घुमैत छी -
चिट्ठी-पत्री अप्रासंगिक भा गेल अछी
ललका डिब्बा (डाक-पेटी) मुंह दुसैत अछि।

डायरी में आब पता नई लिखाइत छै-
पुरना पता सब सेहो हरा गेल।

माँ कहियो काल कहैत रहै छैत-
मुदा आब चिट्ठी नई लिखाइत अछि
ओ कला बिसरा गेल - ओ लगाव जाइत रहल।

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